Holika Dahan 2022 Ka Samay: होलिका दहन की पूजा के लिए मिलेगा बस इतना समय, ना करें मिस

आज देशभर में होलिका दहन का त्योहार मनाया जा रहा है. होलिका दहन () का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है. पूरे देश में आज रात होलिका जलाई जाएगी. होलिका दहन की पूजा शुभ मुहूर्त पर करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं आज होलिका की पूजा का समय कितने बजे से शुरू होगा और कितनी देर तक पूजा की जासकती है. होलिका दहन के मुहूर्त के साथपूजा विधि और खास उपाय भी जानिए-होलिका दहन इस साल गुरुवार,होलिकादहनकीपूजाकेलिएमिलेगाबसइतनासमयनाकरेंमिस 17 मार्च 2022 को किया जाएगा. होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त रात9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. उसके बाद भद्रा मुख लग जाएगा जिसमेंहोलिका दहन नहीं किया जाता है. कुल मिलाकर, होलिका दहन के लिए 1 घंटे 10 मिनट का समय रहेगा.रात 21:20:55 बजे से 22:31:09 बजे तकरात 22:31:09 बजे से 00:28:13 तक- पानी से भरी एक कटोरी- गाय के गोबर से बने उपले- रोली- अक्षत- अगरबत्ती और धूप- फूल- कच्चा कपास- कच्ची हल्दी- साबुत दाल (मूंग)- बताशा- गुलाल- नारियल- कोई भी नई फसल (जैसे गेहूं)सभी पूजनसामग्रियों को एक जगह पर इकट्ठा करके रख लें . इसके बाद जिस जगह पर होलिका दहन किया जाना है वहां की सफाई कर लें. पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें. फिर गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति बनाएं. इसके बाद होलिका पूजन में प्लेट में रखी सभी चीजों को अर्पित करें. इसमें मिठाइयां और फल भी अर्पित करें. इसके बाद भगवान नरसिंह की पूजा करें. अंत में होलिका की 7 बार परिक्रमा करें.टैरो कार्ड रीडर सुनिधि मेहरा नारंग के मुताबिक, आज होलिका दहन () के मौके पर कुछ उपाय करने से आपकी कोई खास मनोकामना पूरी हो सकती है और कई समस्याओं से छुटकारा भी मिल सकता है.अगर आपकी लंबे समय से कोई मनोकामना या मन्नत पूरी नहीं हुई है तो इसके लिए होलिका दहन के समय अपनी मुट्ठी में लौंग लें और जो भी आपकी मनोकामना है उसे मन में कहें. ध्यान रहे कि लौंग बिल्कुल साबुत हो. इसके बाद लौंग को होलिका दहन में अर्पित कर दें. ये उपाय करते समय ध्यान रहे कि आपकी जो भी मनोकामना हो वह सकारात्मक होनी चाहिए, यानी उससे किसी का नुकसान नहीं होना चाहिए.- होलिका दहन के दिन अपने घर में एक मिट्टी का दीया लें और उसमें सरसों का तेल डालें. इसे घर के मुख्य द्वार पर बाहर की तरफ राइट साइड पर रखें और रात के समय जलाएं. इससे घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और आपके घर का वातावरण काफी अच्छा हो जाएगा.- अगर आपको लगता है कि किसी ने आपके घर में कोई टोना-टोटका आदि किया है या घर के सदस्यों की तबीयत हमेशा खराब रहती है तो इसके लिए आपको अपने घर में रखी किसी भी पुरानी लकड़ी का इस्तेमाल करना है. इस पुरानी लकड़ी को लेकर आपको आज रात होलिका दहन में जला देना है.- अगर आप आर्थिक समस्याओं से छुटकारा चाहते हैं और घर में सुख और समृद्धि लाना चाहते हैं तो होलिका की राख को लाल रंग की पोटली में बांधकर घर ले आएं. इस पोटली को अपने लॉकर में या जहां पर भी आपका पैसा रहता है वहां पर रख दें. इससे आपके घर की आर्थिक समस्याएं दूर हो जाएंगी.इस साल होली का त्योहार काफी खास होने वाला है. होली पर इस साल कई शुभ योग बनने जा रहे हैं. इस साल होली पर वृद्धि योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और ध्रुव योग बनने जा रहा है. इसके अलावा, बुध-गुरु आदित्य योग भी बन रहा है. बुध-गुरु आदित्य योग में होली की पूजा करने से घर में सुख और शांति का वास होता है.होली का त्यौहार प्रह्लाद और होलिका की कथा से भी जुडा हुआ है. विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार प्रह्लाद के पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर देवताओं से यह वरदान प्राप्त कर लिया कि वह न तो पृथ्वी पर मरेगा न आकाश में, न दिन में मरेगा न रात में, न घर में मरेगा न बाहर, न अस्त्र से मरेगा न शस्त्र से, न मानव से मारेगा न पशु से. इस वरदान को प्राप्त करने के बाद वह स्वयं को अमर समझ कर नास्तिक और निरंकुश हो गया. वह चाहता था कि उनका पुत्र भगवान नारायण की आराधना छोड़ दे, परन्तु प्रह्लाद इस बात के लिये तैयार नहीं था. हिरण्यकश्यपु ने उसे बहुत सी प्राणांतक यातनाएं दीं लेकिन वह हर बार बच निकला. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी. अतः उसने होलिका को आदेश दिया के वह प्रह्लाद को लेकर आग में प्रवेश कर जाए जिससे प्रह्लाद जलकर मर जाए. परन्तु होलिका का यह वरदान उस समय समाप्त हो गया जब उसने भगवान भक्त प्रह्लाद का वध करने का प्रयत्न किया. होलिका अग्नि में जल गई परन्तु नारायण की कृपा से प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ. इस घटना की याद में लोग होलिका जलाते हैं और उसके अंत की खुशी में होली का पर्व मनाते हैं.शिव और पार्वती से संबंधित एक कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे. कामदेव पार्वती की सहायता को आए. उन्होंने पुष्प बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी. शिवजी को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोल दी. उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया. फिर शिवजी ने पार्वती को देखा. पार्वती की आराधना सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. इस कथा के आधार पर होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है. एक अन्य कथा के अनुसार, कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति ने विलाप किया और शंकर भगवान से कामदेव को जीवित करने की गुहार की. ईश्वर प्रसन्न हुए और उन्होने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया. यह दिन होली का दिन होता है. आज भी रति के विलाप को लोक संगीत के रूप मे गाया जाता है और चंदन की लकड़ी को अग्निदान किया जाता है ताकि कामदेव को भस्म होने मे पीड़ा ना हो. साथ ही बाद मे कामदेव के जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है.
相关内容
最新内容
推荐内容
热点内容